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द गर्ल इन रूम 105–१३

"यह तो मेरे साथ भी है। कोई नई चीज बताओ।"" 'हम हमेशा के लिए इस चंदन क्लासेस में फसे नहीं रह सकते। हम आईआईटीयन्स हैं. फॉर गॉइस सेका"

'तुम आईआईटीयन हो भाई, मैं तो नागपुर से सिम्पल एनआईटी वाला हूँ।'

  • यह भी कुछ कम नहीं होता। हम इस कोचिंग सेंटर में क्यों फंसे हुए हैं?"

'तो उस चंदन ने कुछ कहा

"हां, लेकिन बात केवल इतनी ही नहीं है।"

'और क्या?'

'मेरे दो इंटरव्यू खराब गए।"

'कौन-से?" 'मैने लिंक्डइन पर एड देखकर कुछ कंपनियों में अप्लाई किया था।

'तुमने बताया नहीं?"

'सॉरी, में बताना चाहता था, लेकिन मैंने सोचा पहले कुछ हो जाए, फिर बताता हूँ। दस में से केवल दो ने

मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया और दोनों ही ने एक ही दिन रिजेक्शन लेटर भी भेजा। 'कौन?"

एक तो इंफोसिस और दूसरी गुड़गांव की एक छोटी सॉफ्टवेयर कंपनी लोटेका मुझे लगा था कि इंटरव्यू अच्छे गए हैं। ब्लडी हेल, मैना उन्होंने मुझे जॉब नहीं दिया।

मैंने अपनी ड्रिंक ख़त्म कर दी। 'भाड़ में जाने दो, सौरभ ने कुछ देर ठहरकर कहा।

उन्होंने मुझसे पूछा कि मैंने आईआईटी करने के बाद एक कोचिंग सेंटर क्यों जॉइन कर लिया।'

'हमारे रेज्यूमे पर ये कोचिंग क्लासेस भी एक धब्बे की तरह होती है। जैसे कि यहां काम करने से हम कॉर्पोरेट्स के लिए मिसफिट हो गए हो, सौरभ ने कहा।

'तुमने अपना लिंक्डइन अपेडट किया?

'अपडेट करने जैसा कुछ है ही नहीं।" मैंने अपने फोन पर सौरभ की लिंक्डइन प्रोफाइल खोली।

'कम से कम एक ठीक-ठाक फोटो तो लगा दो। अभी तो तुम इसमें एक बाइल्ड मोलेस्टर जैसे लग रहे हो.'

मैंने कहा।

'दिखाओ तो.' सौरभ ने कहा और फोन ले लिया। 'और तुम किसी डांस रूप के मेंबर जैसे लग रहे हो। यहां फोटो में तुम्हारी ईयररिंग्स क्यों नज़र आ रही है? क्या ऐसा करने से तुम्हें जॉब मिल जाएगा!

मैंने फ़ोन वापस ले लिया।

'यह हमारा राजस्थानी कल्चर है।" 'किसी भी टेक कंपनी को ज्वेलरी पहनने वाला बंदा नहीं चाहिए।"

मैंने अपना फ़ोन टेबल पर रख दिया।

"हमारी यही औकात है, हम एक ढंग की प्रोफाइल पिक्चर भी नहीं लगा सकते।'

'सर, इसलिए तो मैं आपसे कहता हूं कि गुटखा खाना शुरू कर दीजिए। चंदन क्लासेस और अपनी बेकार की जिंदगी का मजा

मैंने सौरभ को घूरकर देखा।

"सॉरी, मॉरी हां, हम कोशिश करना नहीं छोड़ेंगे।'

सौरभ ने टीवी चला दिया और न्यूज लगा ली। प्राइम टाइम स्टोरी में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी कैंपस में

लड़कियों पर पुलिस के लाठी चार्ज वाली खबर थी। लड़कियों की क्या गलती थी। वे इसलिए प्रोटेस्ट कर रही थीं क्योंकि वे नहीं चाहती थीं कि उनका यौन शोषण किया जाता रहे। "आर दे सीरियस यह यूपी पुलिस है। शातिपूर्ण अहिंसक आंदोलन कर रही लड़कियों पर लाठीचार्ज

सौरभ ने कहा।

जारा भी तो प्रोटेस्ट में शामिल होना पसंद करती थी, मेरे दिमाग में यह विचार कौंधा मेरा न्यूरन सर्किट फिर से अपना पसंदीदा काम करने लगा था।

और मेरा मन कई सालों पहले की उस घटना को याद करने लगा, जब हमारी एक एक्टिविस्ट डेट हुई थी।

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